बहादुरगढ़, 20 जून 2023: मॉर्डन ज़िंदगी में जिस तेज़ रफ़्तार से टेक्नोलॉजी पैर पसार रही है, उतनी ही तेज़ी से बीमारियाँ भी नए-नए रूप लेकर आ रही हैं. बच्चे हो या बड़े सब तरह-तरह की बीमारियों में घिर रहे हैं. खून से जुड़ी बीमारियों ने भी तेज़ी से अपने पैर ज़माने शुरू कर दिए हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग के डॉक्टरों ने आज शहर में बच्चों और वयस्कों दोनों में खून संबंधी बीमारियों और ब्लड कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश में एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया ताकि ज़्यादा से ज्याद लोग इन बीमारियों के बारे में जानकारी हासिल हो सके और इनका सही समय पर इलाज किया जा सके. इस बारे में सार्वजनिक जानकारी की कमी के चलते लोगों को बेहतर इलाज सुविधा, जांच के तरीक़ों, रिस्क फ़ैक्टर और समय रहते सभी खून से जुड़ी बीमारियों से जुड़े वॉर्निंग साइन के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जानकारी देना बेहद जरूरी है.
इस मौके पर मैक्स हॉस्पिटल, शालीमार बाग के डॉ. सुशांत मित्तल, एसोसिएट डायरेक्टर, मेडिकल एंड हेमेटो-ऑन्कोलॉजी, डॉ. अमृता चक्रवर्ती, कंसल्टेंट, हेमेटो-ऑन्कोलॉजी एंड बीएमटी, और डॉ. सिल्की जैन, सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक हेमेटो-ऑन्कोलॉजी और बीएमटी मौजूद थे. ब्लड कैंसर और इससे जुड़ी बीमारियों के साथ कई रोगियों के इलाज में व्यापक विशेषज्ञता रखने वाले डॉक्टरों ने रोगियों के लिए उपलब्ध जल्द इलाज और इलाज के विकल्पों के लिए अपनी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और मार्गदर्शन प्रदान किया. डॉक्टरों ने बच्चों और वयस्कों में विभिन्न प्रकार के ब्लड कैंसर के बारे में भी बताया.
एक्यूट और क्रॉनिक ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा और मायलोयड्सप्लास्टिक सिंड्रोम जैसी घातक खून से जुड़ी बीमारियों के बारे में बताते हुए मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के एसोसिएट डायरेक्टर-मेडिकल एंड हेमेटो-ऑन्कोलॉजी डॉ. सुशांत मित्तल ने कहा, “हमने इस तरह की घटनाओं और व्यापकता में वृद्धि देखी है. ल्यूकेमिया के मामले पुरुषों में 10वां सबसे आम कैंसर बनाते हैं और दुनियाभर में ये महिलाओं में 12वां सबसे आम कैंसर बनाता है. भारतीय आबादी को प्रभावित करने वाले सबसे प्रचलित प्रकार के ब्लड कैंसर लिम्फोमा, ल्यूकेमिया और मल्टीपल मायलोमा हैं. प्री-ल्यूकेमिया या मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम एक बीमारी है जिसमें रोगी आमतौर पर रैड बल्ड सैल्स (सबसे आम), व्हाइट सैल्स, या प्लेटलेट काउंट की कमी के साथ उपस्थित होते हैं जो आगे चलकर तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया में बदल सकते हैं. मल्टीपल मायलोमा प्लाज्मा सैल्स का एक कैंसर है जिसमें बोन मौरो में मौजूद व्हाइट बल्ड सैल्स कैंसर बन जाती हैं और मल्टीप्लाई हो जाती हैं. हेमेटोलॉजी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में हुई प्रगति के साथ, बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स (बीएमटी) लाइलाज और संभावित घातक बीमारियों के लिए भी सबसे अच्छा जीवन रक्षक के रूप में उभर रहा है.”
गैर-कैंसर वाली खून से जुड़ी बीमारियों पर जोर देते हुए, हेमेटो-ऑन्कोलॉजी और बीएमटी की सलाहकार डॉ. अमृता चक्रवर्ती ने कहा, “हीमोफिलिया, वॉन विलेब्रांड रोग और वंशानुगत और अधिग्रहित थ्रोम्बोफिलिया सहित कुछ बीमारियाँ ब्लीडिंग (खून बहना) और क्लॉटिंग यानी खून को थक्के जमने की बीमारी है जो प्लेटलेट्स को प्रभावित कर सकती है, इससे असामान्य खून के थक्के जम सकते हैं या खून बह सकता है. क्लॉटिंग डिसऑर्डर वाले ऐसे व्यक्तियों में स्ट्रोक और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है. एक अन्य गैर-कैंसरयुक्त खून से जुड़ी बीमारी एनीमिया है, जो विरासत में प्राप्त या अधिग्रहित किया जा सकता है. एक्वायर्ड एनीमिया में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया, मेगालोब्लास्टिक एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया और ऑटोइम्यून हेमोलिटिक एनीमिया शामिल हैं. इनहेरिटेड एनीमिया में सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, हेमोलिटिक या माइक्रोसाइटिक शामिल हैं. इस अवसर के माध्यम से, हम जनता को शुरुआती पहचान के महत्व को समझने के लिए संवेदनशील बनाना चाहते हैं. प्रौद्योगिकियों और विशेषज्ञता में प्रगति ने इलाज में सुधार करने और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जटिलताओं और दुष्प्रभावों को कम करने में मदद की है.
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग की वरिष्ठ सलाहकार, बाल चिकित्सा हेमाटो-ऑन्कोलॉजी और बीएमटी, सिल्की जैन ने कहा, “बच्चों में पाए जाने वाले सामान्य प्रकार की खून से जुड़ी बीमारियों में आयरन की कमी से एनीमिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया, बोन मैरो फेलियर सिंड्रोम, हीमोफिलिया, वॉन विल्स ब्रांड रोग, इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया आदि जैसे रोग शामिल हैं. साथ ही, बच्चों में एक्यूट ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) कैंसर का सबसे आम प्रकार है. बच्चों में ब्लड डिसऑर्डर बहुत हल्के से लेकर जानलेवा तक हो सकते हैं. सामान्य ब्लड डिसऑर्डर के लक्षणों में थकान, चक्कर आना, सांस की तकलीफ, आसानी से चोट लगना, हड्डियों में दर्द और अत्यधिक रक्तस्राव शामिल हैं. बच्चों में कई ब्लड डिसऑर्डर की शुरुआत में पहचान हो पाया मुश्किल होता है. बोन मैरो एस्पिरेशन बायोप्सी सेफ़ है और घातक हेमेटोलॉजिकल रोगों के निदान की पुष्टि के लिए एक सुरक्षित और मूल्यवान प्रक्रिया है. रक्त कैंसर से पीड़ित बच्चों में अच्छे उपचार के परिणाम और बचने की ज़्यादा उम्मीद सुनिश्चित करने के लिए जल्दी पहचान और शीघ्र उपचार दो सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं. यदि बाल चिकित्सा हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट की सलाह के अनुसार उपचार समय पर शुरू किया जाता है और पूरा किया जाता है, तो बाल चिकित्सा रक्त कैंसर में इलाज की दर 80 से 90 प्रतिशत तक पहुंच जाती है. थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया के मामले में, प्रारंभिक बीएमटी रोगी को जीवन भर रक्ताधान से बचा सकता है और इसमें यही एकमात्र इलाज उपलब्ध है. बच्चों में अप्लास्टिक एनीमिया (बोन मैरो फेलियर) में इम्युनोसप्रेसेन्ट दवाओं की तुलना में बीएमटी इलाज का एक अच्छा विकल्प है, जिसकी सफलता दर 90% के करीब है.
बता दें कि मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, शालीमार बाग का हेमाटो-ऑन्कोलॉजी और बीएमटी विभाग बीएमटी के लिए विश्व स्तरीय, अत्याधुनिक उन्नत सुविधाओं से पूरी तरह सुसज्जित है, जिसमें एचईपीए-फ़िल्टर्ड कमरे, विशेष डॉक्टर और आईसीयू बैकअप के साथ मरीज़ के लिए नर्सिंग देखभाल किफायती और पारदर्शी पैकेज पर उपलब्ध है.