हार्ट हेल्थ अवेयरनेस: लक्षणों की शुरुआती पहचान बेहद जरूरी, लाइफस्टाइल में सुधार से किया जा सकता है दिल का बीमारियों से बचाव- डॉक्टर अखिल कुमार रस्तोगी

हार्ट हेल्थ अवेयरनेस: लक्षणों की शुरुआती पहचान बेहद जरूरी, लाइफस्टाइल में सुधार से किया जा सकता है दिल का बीमारियों से बचाव-डॉक्टर अखिल कुमार रस्तोगी

  

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में कार्डियक साइंसेज एंड सीटीवीएस के हेड डॉक्टर अखिल कुमार रस्तोगी ने दिल से जुड़ी बीमारियों व उसके इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. हार्ट, शरीर का एक बहुत ही अहम अंग होता है जो धमनियों के जरिए ऑक्सीजन युक्त ब्लड पंप करके और नसों के माध्यम से ऑक्सीजन रहित ब्लड प्राप्त करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हार्ट अटैक आने के कई कारण होते हैं. हाई ब्लड प्रेशर, एथरोस्केरोसिस (ब्लड वेसल्स में पट्टिकाओं का जमना), हाई ब्लड शुगर लेवल, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल जैसी समस्याएं हार्ट पर प्रेशर बढ़ाती हैं जिससे उसकी दक्षता कम हो जाती है और इस कंडीशन में हार्ट अटैक आने के चांस रहते हैं.

भारत में दिल से जुड़ी बीमारियां जानलेवा होती हैं. देश में होने वाली कुल मौतों में एक चौथाई हार्ट डिजीज से होती हैं. हालांकि, दिल की बीमारियों से बचाव किया जा सकता है, बावजूद इसके इससे जुड़े केस लगातार बढ़ रहे हैं. सिर्फ उम्रदराज लोग ही नहीं, बल्कि खराब लाइफस्टाइल और तनाव जैसी समस्याओं के चलते मिडिल एज ग्रुप की आबादी में भी कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) बढ़ रही हैं. लक्षणों के बारे में जानकारी की कमी और डायग्नोसिस में देरी के चलते दिल से जुड़ी बीमारियां स्थायी रूप ले लेती हैं. ऐसे में रेगुलर टेस्टिंग जरूरी है, खासकर डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री, हाइपरटेंशन और हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों के लिए ये सावधानियां जरूरी हैं. समय पर एडवांस तौर-तरीकों के साथ इलाज से अच्छे परिणाम आ रहे हैं और क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार हो रहा है.

हार्ट डिजीज में एंजाइन चेस्ट पेन सबसे कॉमन लक्षण माना जाता है. इसके लक्षण हल्की बेचैनी से लेकर गंभीर दर्द या सीने में जकड़न, बांह में दर्द, गर्दन, जबड़े, कमर या पेट में दर्द हो सकते हैं और इसके साथ ही सांस में दिक्कत भी हो सकती है.

हार्ट अटैक के लक्षणों की शुरुआती पहचान काफी अहम है, क्योंकि इससे बेहतर इलाज हो पाता है और अच्छे रिजल्ट आते हैं. सीने में भारीपन, बेचैनी और सांस लेने में परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

हाई ब्लड प्रेशर होने से हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा रहता है, जिससे हार्ट फेल होने, प्री-मैच्योर डेथ, और दिव्यांगता का रिस्क रहता है. बचाव के लिए हेल्दी फूड खाना चाहिए, अपनी डाइट में फ्रूट शामिल करें, सब्जियां, मछली, मांस, नट्स, ग्राम्स समेत लो-फैट डेयरी प्रोडक्ट्स खाने चाहिए, ताकि ब्लड प्रेशर को संतुलित किया जा सके और रिस्क को कम किया जा सके.

इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, टर्मरिक, आंवला, तुलसी समेत सब्जियों वाली डाइट, सलाद और फ्रूट खाने चाहिए. इसके अलावा हर दिन आधा घंटा वॉकिंग, बेसिक बॉडी स्ट्रेच, योग और मेडिटेशन करके भी दिल की सेहत को बेहतर किया जा सकता है.

हार्ट फेल से बचाव के लिए सबसे आसान और शुरुआती तरीका ये है कि खाने-पीने की आदतों और लाइफस्टाइल को सही किया जाए. मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को बढ़ाने वाली आदतों को छोड़ना चाहिए. हार्ट फेल या अन्य बीमारी ये दिखाती है कि आपके दिल को केयर की जरूरत है. हालांकि, हार्ट डिजीज पूरी दुनिया में मौत का एक बड़ा कारण है, लेकिन स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाकर हार्ट को बीमारियों से बचाया जा सकता है.

हार्ट हॉस्पिटल्स में कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी की जाती हैं. इस तरह की समस्याओं में माइट्रल बैलून वाल्वोटोमी और हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट किया जाता है. जन्मजात हार्ट डिफेक्ट्स के मामले में एएसडी और वीएसडी की जाती है. एओर्टिक वाल्व डिजीज के लिए ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीवीएआर) जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी से इलाज किया जाता है. माइट्रावाल्व का लीकेज ठीक करने के लिए माइट्राक्लिप इस्तेमाल की जाती हैं और ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत भी नहीं पड़ती. कुछ मामलों में परंपरागत हार्ट सर्जरी की जगह मिनिमली इनवेसिव हार्ट सर्जरी की जाती है, जिससे मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है.

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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