क्या युवाओं को है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा? वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए क्या है सच्चाई

क्या युवाओं को है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा? वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए क्या है सच्चाई

क्या युवाओं को है हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा? वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए क्या है सच्चाई
World Heart Day 2023: कोविड-19 महामारी के दौरान पूरी दुनिया में उथल-पुथल बनी रही, हजारों-लाखों की जान चली गई। भारत में भी हालात चिंताजनक रहे। इस बीच कुछ युवा सितारों की मौत भी देश ने देखी। टीवी फेम सिद्धार्थ शुक्ला, साउथ स्टार पुनीत राजकुमार और कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव जैसे नामचीन कलाकार हमारे बीच से चले गए। ये लोग अचानक कार्डिएक अरेस्ट की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह गए। ऐसे मामलों में कोरोनरी आर्टरी ब्लॉक हो जाती है और दिल को ब्लड सप्लाई रुक जाता है। हाल ही में यूपी की राजधानी लखनऊ में एक नौवीं कक्षा के छात्र की मौत भी कार्डिएक अरेस्ट की वजह से हो गई। ऐसे में आज वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर हम आपको आप अपने जीवन में कुछ मामूली बदलाव कर के इन जानलेवा अटैक से कैसे बच सकते हैं और अपने दिल को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। 
भारत में फिलहाल 40 वर्ष से कम उम्र के 25% मरीजों और 50% आयु वर्ग के 50% मरीजों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है। इससे हमें ये पता चलता है कि हम कार्डियोवैस्कुलर बीमारी या सीवीडी (दिल के दौरे और स्ट्रोक) की महामारी के बीच जी रहे हैं। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट गुरुग्राम में नॉन इनवेसिव एंड क्लीनिकल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर व हेड डॉक्टर विनायक अग्रवाल ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि भारत में दुनिया के अंदर सबसे ज्यादा युवा आबादी है, ऐसे में यहां एक बड़ी चिंता का विषय है। 
इन चीज़ों से बढ़ता है रिस्क
इंटर हार्ट स्टडी के अनुसार, खराब जीवनशैली, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, अनियमित नींद, हाई स्ट्रेस वातावरण समेत कोरोनरी धमनी रोग की फैमिली हिस्ट्री इसके लिए रिस्क फैक्टर हैं। ये सभी फैक्टर भारत के युवाओं में काफी ज्यादा पाए जाते हैं। हाई कार्बोहाइड्रेट और फैट डाइट, तेल का बार-बार इस्तेमाल जैसी चीजों से सीवीडी (Cardiovascular disease) का खतरा बढ़ता है। किंवदंतियों के अनुसार, पहले के समय में हार्ट सम्बन्धी बिमारियों को अमीर लोगों की बीमारी माना जाता था। लेकिन, आज यह पूरी तरह से उलट हैं। सीवीडी अब गरीबों को भी चपेट में ले रही है। PURE सब-स्टडीज के साइंटिफिक डेटा से पता चलता है कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में सीवीडी पूरे दक्षिण एशिया में 35.5 फीसदी मौतों का सबसे आम कारण है।
लंबी और स्वस्थ जिंदगी गुजारने का कोई शॉर्टकट नहीं
लंबी और स्वस्थ जिंदगी गुजारने का कोई शॉर्टकट नहीं है। अपने जीवन में कुछ मामूली बदलाव करके, जैसे रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज, बैलेंस डाइट, ज्यादा फ्रूट, सब्जियां खाकर अपने जीवन में काफी सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा स्मोकिंग व तंबाकू का सेवन बंद करें, ब्लड प्रेशर को संयमित रखें, नींद पर्याप्त लें, और अपने आसपास के वातावरण को तनाव मुक्त रखने से एक स्वस्थ जीवन गुजारा जा सकता है। 

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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