ग्रेटर नोएडा के यथार्थ हॉस्पिटल की डॉक्टर पारुल ने क्रिटिकल केयर यूनिट की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया है. मौजूदा वक्त में अस्पतालों के लिए क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) एक अभिन्न अंग बन गए हैं. इन स्पेशल यूनिट को जिंदगी के लिए घातक बीमारी या चोटों वाले मरीजों की अच्छे से देखभाल करने के लिए डिजाइन किया गया है. इन यूनिट में मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है, यहां एडवांस ट्रीटमेंट दिया जाता है और मल्टी डिसीप्लिनरी एक्सपर्ट टीम होती है. एक क्रिटिकल केयर यूनिट स्पेशलिस्ट होने के नाते मेरा मानना है कि मरीजों की जिंदगी बचाने में सीसीयू का बहुत अहम रोल होता है. दरअसल, क्रिटिकल केयर यूनिट में बहुत ही गहनता से मॉनिटरिंग की जाती है और यहां मरीजों को तुरंत स्पेशलाइज्ड उपकरणों से इलाज मुहैया कराया जाता है. सीसीयू में बहुत ही शानदार टेक्नोलॉजी वाले उपकरण होते हैं जिनकी मदद से मरीजों के हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल और सांस की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है. मरीज की लगातार निगरानी से फायदा ये होता है कि उसकी कंडीशन में थोड़े से बदलाव का भी पता चल जाता है और डॉक्टर उसी के अनुसार तुरंत ट्रीटमेंट देते हैं.
क्रिटिकल केयर यूनिट को विशेष उपकरणों के साथ तैयार किया जाता है. यहां वेंटिलेटर, कार्डियक मॉनिटर, इंफ्यूजन पंप और डिफिब्रिलेटर जैसे उपकरण होते हैं. ये उपकरण गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तुरंत सपोर्ट देने, गंभीर मामलों को संभालने और इमरजेंसी ट्रीटमेंट देने में काफी अहम रहते हैं. सीसीयू के अंदर ये तमाम मशीनें और सुविधाएं होने की वजह से मरीज का इलाज सफल रहने के काफी चांस रहते हैं.
इसके अलावा मल्टी-डिसीप्लिनरी अप्रोच और मिलकर काम करने वाली अलग-अलग मेडिकल टीमें भी क्रिटिकल केयर यूनिट को खास बनाती हैं. सीसीयू में अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर, क्रिटिकल केयर फिजियंस, नर्स, रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट, फार्मासिस्ट और पोषण विशेषज्ञ होते हैं. एक टीम की तरह यहां मरीज को इलाज दिया जाता है और मरीज की अच्छे से देखभाल होती है.
यहां स्किल्ड टीम की मौजूदगी रहती है, आपातकालीन दवाएं और उपकरण उपलब्ध होते हैं और प्रोटोकॉल के तहत तुरंत टीम रिएक्ट करती है. ये तमाम एक्शन मरीज के लिए लाइफ सेविंग साबित होते हैं. इसके अलावा, क्रिटिकल केयर यूनिट को मुश्किल केस संभालने के लिए डिज़ाइन जाता है, जिसमें एडवांस लाइफ सपोर्ट, इनवेसिव मॉनिटरिंग और चेस्ट ट्यूब इंसर्शन, सेंट्रल लाइन प्लेसमेंट व ट्रेकोस्टोमी जैसी चीजें उपलब्ध होती हैं.
इस तरह के ट्रीटमेंट गंभीर स्थिति वाले मरीज को भी स्टेबल कर देती हैं और आगे के इलाज के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाता है. इसके अलावा सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी के लिए पोस्ट-ऑपरेटिव केयर और रिकवरी क्रिटिकल केयर यूनिट भी अहम रोल अदा करती हैं. बड़े ऑपरेशन के बाद मरीज को आमतौर पर आईसीयू में शिफ्ट कर दिया जाता है ताकि अच्छे से मॉनिटरिंग की जा सके, दर्द को कंट्रोल किया जा सके और मरीज की आवश्यकता के हिसाब से केयर की जा सके. सीसीयू में दी जाने वाली गहन देखभाल ऑपरेशन के बाद की मुश्किलों जैसे संक्रमण, ब्लीडिंग या अंग की शिथिलता की रोकथाम और प्रारंभिक पहचान में सहायता करती है. लगातार मॉनिटरिंग, तुरंत इंटरवेंशन और कुशल नर्सिंग केयर के साथ, क्रिटिकल केयर यूनिट में मरीजों को उनकी सर्जरी से सफलतापूर्वक ठीक होने के चांस काफी ज्यादा रहते हैं.
सीसीयू में डेडिकेटेड मेडिकल टीम होती है और यहां शानदार टेक्नोलॉजी होती है जिससे मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मिलता है, यहां तक कि गंभीर मामलों में भी अच्छा ट्रीटमेंट दिया जाता है. अलग-अलग मेडिकल विषयों की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करते हुए मल्टी डिसीप्लिनरी अप्रोच के साथ क्रिटिकल केयर यूनिट एक व्यापक और व्यक्तिगत इलाज मुहैया कराती हैं. भविष्य में, अस्पतालों के लिए क्रिटिकल केयर यूनिट में निवेश जारी रखना, उनकी क्षमता का विस्तार करना और उन्हें चिकित्सा प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति से लैस करना काफी अहम है.ऐसा करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा और मरीज के लिए अच्छे रिजल्ट आएंगे जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा.