क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) ऐसी स्थिति है जिसमें लगातार शुगर लेवल के ज्यादा होने से किडनी में मौजूद छोटे ब्लड वेसल्स के डैमेज होने से उनकी वेस्ट व टॉक्सिन को फिल्टर करने की क्षमता पर असर पड़ता है। ये डैमेज डायबिटिक नेफ्रोपैथी की तरफ बढ़ जाता है जो डायबिटीज आम परेशानी है और सीकेडी होने का एक बड़ा कारण है।
किडनी की बीमारी के कारण इसके निवारण और स्वस्थ्य रहने के लिए विशेषज्ञों ने लक्षण और इनसे बचाव के लिए सजग और जागरुक रहने के लिए हर व्यक्ति को जागरुक होने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने बुधवार को पत्रकारों के साथ अपने अनुभवों को सांझा किया। उन्होंने बताया कि भारत में किडनी डिजीज के कई अध्ययन बताते हैं कि देश की 4-20 प्रतिशत आबादी क्रोनिक किडनी डिजीज की गिरफ्त में है।
क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) ऐसी स्थिति है जिसमें लगातार शुगर लेवल के ज्यादा होने से किडनी में मौजूद छोटे ब्लड वेसल्स के डैमेज होने से उनकी वेस्ट व टॉक्सिन को फिल्टर करने की क्षमता पर असर पड़ता है। ये डैमेज डायबिटिक नेफ्रोपैथी की तरफ बढ़ जाता है जो डायबिटीज आम परेशानी है और सीकेडी होने का एक बड़ा कारण है।
नई दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल शालीमार बाग के नेफ्रोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर मनोज अरोड़ा ने बताया कि शरीर की ओवरऑल हेल्थ के लिए किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। स्वस्थ किडनी खून से वेस्ट को फिल्टर करती है, फ्लूड को कंट्रोल करती है, इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित करती है, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है, लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती है, हड्डियों की हेल्थ के लिए विटामिन डी को एक्टिवेट करती है और बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती है। किडनी की देखभाल करने से किडनी डिजीज से बचाव होता है, क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर होती है और इंसान के जीवन में वृद्धि होती है। किडनी की बीमारी से बचने के लिए इसका शुरुआती स्टेज में पता लगना बेहद अहम होता है. ऐसे में रुटीन स्क्रीनिंग टेस्ट कराए जाएं ताकि किडनी के किसी भी डिस्फंक्शन को अर्ली स्टेज में ही पता लग सके. इस तरह के टेस्ट में आमतौर पर क्रिएटिनिन का लेवल देखा जाता है और ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट का एस्टीमेशन किया जाता है, जिससे किडनी के फंक्शन की स्थिति पता चलती है।
मैक्स अस्पताल शालीमार बाग के नेफ्रोलॉजी प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉक्टर योगेश छाबड़ा ने किडनी डिजीज के लक्षण और इनसे बचाव के बारे में जानकारी दी कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) आमतौर पर खामोशी के साथ पनप जाती है और फिर धीरे-धीरे इसके लक्षण नजर आने शुरू होते हैं। शुरुआत में कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं या नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन अगर किडनी फंक्शन गिरता है तो कई तरह के संकेत मिलने लगते हैं। जैसे थकावट होना, पैरों, एड़ियों और चेहरे पर सूजन, पेशाब के पैटर्न में बदलाव, बार-बार पेशाब आना गहरे रंग का पेशाब आना, ध्यान लगाने में परेशानी, भूख कम लगना, उल्टी और मतली आना आदि।