वाराणसी : दिल्ली-एनसीआर के अग्रणी अस्पतालों में शामिल फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ने आज वाराणसी के ओरियाना हॉस्पिटल के सहयोग से वैस्कुलर सर्जरी एक विशेष ओपीडी लॉन्च की.
ओपीडी सेवाओं का शुभारंभ फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के वैस्कुलर एंड एंडोवास्कुलर सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. हिमांशु वर्मा की उपस्थिति में किया गया। ये ओपीडी आज से ही शुरू हो गई है और हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार और रविवार को यहां डॉक्टर बैठेंगे.
लोगों के बीच रक्त वाहिकाओं से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है. इसी के मद्देनजर ओपीडी लॉन्च के मौके पर फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के डॉक्टरों ने ये भी बताया कि हाल के वक्त में हुई तरक्की से अब मिनिमली इनवेसिव सर्जरी की हो रही हैं. यहां तक कि मुश्किल से मुश्किल केस में भी बिना ओपन सर्जरी के सफल ट्रीटमेंट किया जा रहा है.
फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के वैस्कुलर एंड एंडोवास्कुलर सर्जरी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. हिमांशु वर्मा ने ओपीडी लॉन्च के मौके पर कहा, ‘’इन ओपीडी के जरिए हम लोगों को इस बात के प्रति जागरूक करना चाहते हैं कि रोग के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर समय पर इलाज कितना अहम है. गलत खान-पान, तंबाकू का इस्तेमाल, खराब लाइफस्टाइल अब शहरी आबादी का हिस्सा बन गया है, यही वजह है कि वैस्कुलर से जुड़े मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज (पीएडी), डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी), वैरिकोज वेन्स समेत अन्य समस्याओं का समय पर इलाज बहुत ही जरूरी है. इसके अलावा अगर इन दिक्कतों के साथ किसी को क्रोनिक डायबिटीज की भी दिक्कत हो तो हालात और बिगड़ जाते हैं, यहां तक कि मरीज के पैर खोने तक की नौबत आ जाती है. लेकिन अब शरीर के हिस्सों को काटे बिना ऐसी समस्याओं का इलाज किया जा सकता है. जो मरीज क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित होते हैं, जिन्हें एवी फिस्टुला/एवी ग्राफ्ट की समस्या के लिए हेमोडायलिसिस की जरूरत होती है, उनका बेहतर रिजल्ट के साथ इलाज किया जा रहा है.
डॉ. हिमांशु ने आगे बताया, ‘’ वैरिकोज नसों की समस्याओं में मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया जैसे रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन और विनासील (ग्लू)बहुत ही लेटेस्ट ट्रीटमेंट मेथड्स हैं. ये बहुत प्रभावी और मरीज के लिए अनुकूल इलाज में से है. पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज (पीएडी) एक ऐसी बीमारी है जिसमें पैर की उंगलियां काली पड़ जाती हैं. इसे गैंग्रीन भी कहा जाता है. इसमें पैरों की नसों में ब्लॉकेज हो जाता है. जब ये ब्लॉकेज बढ़ता जाता है तो कई बार हालात ऐसे जाते हैं कि पैर काटना ही एकमात्र विकल्प बचता है. लेकिन आजकल मौजूद एडवांस तकनीक से कंडीशन बेहतर हो जाती है. एम्बोलेक्टोमी या एंजियोप्लास्टी से, या फिर बायपास सर्जरी जैसी प्रक्रियाओं की मदद से नसों में खून का फ्लो सही कर लिया जाता है, जिससे अच्छे रिजल्ट आते हैं.
फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के पास इस तरह की समस्याओं के इलाज के लिए बहुत ही कुशल और अनुभवी टीम मौजूद है. यहां सभी तरह की वैस्कुलर डिजीज का इलाज किया जाता है.