आपके बच्चों में भी नजर आ रहे हैं ये लक्षण तो हो सकता है जन्मजात हृदय रोग का खतरा, फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम ने लोगों को किया जागरूक

आपके बच्चों में भी नजर आ रहे हैं ये लक्षण तो हो सकता है जन्मजात हृदय रोग का खतरा, फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम ने लोगों को किया जागरूक

गोरखपुर। फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ने हाल ही में जन्मजात हृदय रोग (कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज) के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक सेशन आयोजित किया। इसमें सीएचडी के लक्षणों के बारे में बताया गया. फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम के पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने इस अवेयरनेस सेशन का नेतृत्व किया और रोग के अर्ली डिटेक्शन व समय पर इलाज की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति में बचपन से ही होती है और नवजात बच्चों में होने वाली ये बीमारी पूरी दुनिया में आम है जो करीब 1 फीसदी आबादी को प्रभावित करती है. इसके होने के कई कारक होते हैं जिनमें जेनेटिक और पर्यावरणीय कारण भी होते हैं। बच्चों में सीएचडी का पता लगाना इसके इलाज और बेहतर नतीजों के लिए काफी महत्वपूर्ण रोल अदा करता है।

फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के डायरेक्टव व हेड डॉक्टर मनविंदर सिंह सचदेव ने कहा कि अच्छे रिजल्ट लाने के लिए कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज की शुरूआती पहचान बेहद अहम है। ऐसे में सीएचडी के लक्षणों और संकेतों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता जरूरी है। हमारा लक्ष्य मेडिकल प्रोफेशनल्स के साथ माता - पिता को भी इस बीमारी के संकेतों से रूबरू कराना और समय पर मरीज को इलाज दिलाना है ।


कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के लक्षण अलग-अलग होते हैं और इस अवेयरनेस सेशन में कुछ अहम लक्षणों के बारे में बताया गया जिनका सभी माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए। अगर बच्चे को फीड कराने में समस्या हो रही है, बच्चे को थकावट हो जाती है, सांस में कठिनाई रहती है और उसका वजन ठीक से नहीं बढ़ पाता है तो इन स्थितियों पर ध्यान देने की जरूरत है। चेहरे या होंठों के नीले पड़ जाने से सायनोसिस का पता चलता है, ऑक्सीजन पर्याप्त न होने के संकेत मिले और हाइपरसियानोटिक स्पेल्स आते हैं तो डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है। अगर बच्चे लेटते हुए भी तेजी से या घरघराहट के साथ सांस आ रहा हो तो इसे दिखाने की जरूरत है।


डॉक्टर मनविंदर ने आगे कहा कि जन्मजात हृदय रोग के लक्षणों और संकेतों की पहचान होने से बच्चे के इलाज पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समय पर डायग्नोस होने से प्रॉपर ट्रीटमेंट हो पाता है जिससे रिजल्ट बेहतर आते हैं और पीड़ित बच्चे के जीवन में सुधार आता है। जिन बच्चों में सीएचडी होता है उन्हें बार-बार लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का खतरा रहता है जिसमें खांसी, तेज सांसें और बुखार आने के चांस रहते हैं । इसके बच्चे का सही से विकास न होना, भूख में कमी का कारण भी दिल की बीमारी हो सकती है। माता-पिता को इस तरह के लक्षणों के प्रति सचेत रहना चाहिए और अपने बच्चों में ऐसी स्थिति नजर आने पर तुरंत डॉक्टर दिखाना चाहिए।


इन लक्षणों के अलावा बड़े बच्चों में काम करने पर सांस फूलने, फिजिकल एक्टिविटी के दौरान थकान, बेहोशी के एपिसोड, सीने में दर्द की शिकायत हो सकती है। इस अवेयरनेस सेशन में जन्मजात हृदय रोग के हाई रिस्क वाले बच्चों के बारे में भी बताया गया । जिन बच्चों की फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक सिंड्रोम सीएचडी के होते हैं उनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। डॉक्टरों और माता-पिता से यही अपील है कि वो सीएचडी से जुड़े किसी भी किस्म के संकेत या लक्षण नजर आने पर आवश्यक कदम उठाएं। जन्मजात हृदय रोग के मामले में अर्ली डिटेक्शन और इंटरवेंशन एक बहुत अहम रोल अदा करती है और इससे मरीज के लिए रिजल्ट भी अच्छे आते हैं।


P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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