मैक्स अस्पताल, साकेत के डॉक्टरों ने 51 वर्षीय मुरादाबाद निवासी के फेफड़ों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया।

मैक्स अस्पताल, साकेत के डॉक्टरों ने 51 वर्षीय मुरादाबाद निवासी के फेफड़ों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया।
मुरादाबाद: मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल साकेत के डॉक्टरों द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि किस तरह से लंग्स की जटिल बीमारी को देखते हुए मुरादाबाद के रहने वाले मरीज़ हरिओम सिंह के फेफड़े के ऊपर हिस्सों को निकलते हुए सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। 

 

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के थोरेसिक सर्जरी एवं लंग ट्रांसप्लांट विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ. कामरान अली ने बताया कि 51 वर्षीय मुरादाबाद निवासी मरीज़ हरिओम की सफलतापूर्वक सर्जरी की गई है मरीज को बार-बार खून की उल्टियां हो रही थी वह काफी समय से परेशान थे उनकी जान को खतरा बना हुआ था उनकी स्थिति को गंभीरता से देखते हुए हमने न्यूनतम इनवेसिव VATS तकनीक का उपयोग करके लेफ्ट अपर लोबेक्टॉमी करने का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया में सर्जनों ने छाती पर केवल तीन छोटे चीरे लगाए, जिसमें मांसपेशियों को नहीं काटा गया और पसलियों को नहीं फैलाया गया। इस दौरान फेफड़े का अत्यधिक क्षतिग्रस्त ऊपरी भाग निकाला गया। 

 

हरिओम सिंह को 1990 और 2023 में दो बार फेफड़ों की टीबी (क्षय रोग) हो चुकी थी, जिससे उनके बाएं फेफड़े के ऊपरी हिस्से में गंभीर क्षति हुई। समय के साथ, वहां फाइब्रो कैविटरी घाव और एक फंगल बॉल बन गई, जिससे बार-बार संक्रमण और खांसते समय अत्यधिक रक्तस्राव होने लगा।मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत में भर्ती होने पर, अस्पताल के थोरेसिक सर्जरी एवं लंग ट्रांसप्लांट विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ. कमरान अली के नेतृत्व में एक मल्टी डिसिप्लिनरी टीम ने गहन जांच की। इस जांच में धमनियों से खून का रिसाव पाया गया, जो घातक रक्तस्राव का गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता था। इस जटिल मामले के बारे में बताते हुए मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के थोरेसिक सर्जरी एवं लंग ट्रांसप्लांट विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ. कामरान अली ने कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हमने न्यूनतम इनवेसिव VATS तकनीक का उपयोग करके लेफ्ट अपर लोबेक्टॉमी करने का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया में सर्जनों ने छाती पर केवल तीन छोटे चीरे लगाए, जिसमें मांसपेशियों को नहीं काटा गया और पसलियों को नहीं फैलाया गया।

 

फेफड़े का अत्यधिक क्षतिग्रस्त ऊपरी भाग निकाला गया उन्होंने आगे बताया यह सर्जरी कई चुनौतियों से भरी थी। क्षतिग्रस्त फेफड़ा छाती की दीवार और हृदय से चिपका हुआ था जिससे इसे अलग करना अत्यंत कठिन था। इसके अलावा, सख्त लिम्फ नोड्स रक्त वाहिकाओं और वायुमार्ग से चिपके हुए थे, जिनका सुरक्षित विभाजन आवश्यक था। इस संपूर्ण प्रक्रिया में VATS तकनीक ने हमें अत्यंत सटीक सर्जरी करने में मदद की, जिससे मरीज को न्यूनतम दर्द और अधिकतम लाभ मिला।सफल सर्जरी के बाद हरिओम सिंह के हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य हो गया और वे बिना किसी रक्तस्राव के आसानी से सांस लेने में सक्षम हो गए। उनकी रिकवरी में दवाओं, नेबुलाइजेशन थेरेपी और फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मरीज को सर्जरी के 7वें दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत, उन्नत थोरेसिक और न्यूनतम इनवेसिव फेफड़े की सर्जरी में अग्रणी बना हुआ है। यह सफल सर्जरी दर्शाती है कि अस्पताल नवीनतम शल्य चिकित्सा तकनीकों और विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल के माध्यम से जीवन बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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