स्वच्छता, टीकाकरण और जांच से रोकें हैपेटाइटिस का फैलाव

स्वच्छता, टीकाकरण और जांच से रोकें हैपेटाइटिस का फैलाव

पानीपत: हैपेटाइटिस एक खामोश लेकिन गंभीर बीमारी है, जो अक्सर तब तक शरीर में बिना पहचान के बनी रहती है जब तक कि लिवर को भारी नुकसान नहीं पहुंच जाता। यह बीमारी विभिन्न वायरस और संक्रमणकारी एजेंट्स के कारण होती है, जो लिवर में सूजन पैदा करते हैं और समय पर पहचान और इलाज न होने पर यह जीवनभर की जटिलताओं या मृत्यु का कारण बन सकती है।


हैपेटाइटिस के पांच मुख्य प्रकार होते हैं – ए, बी, सी, डी और ई। इनमें से हैपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन या पानी के सेवन से फैलते हैं और यह रोग आमतौर पर तीव्र (acute) रूप में होता है, जो गंभीर हो सकता है लेकिन सामान्यतः लंबे समय तक नहीं रहता। वहीं हैपेटाइटिस बी, सी और डी खून और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क से फैलते हैं, जैसे असुरक्षित यौन संबंध या संक्रमित सुइयों का उपयोग। विशेष रूप से हैपेटाइटिस बी और सी लंबे समय तक शरीर में बने रह सकते हैं और आगे चलकर सिरोसिस, लिवर कैंसर और लिवर फेल होने जैसे घातक परिणाम दे सकते हैं।


मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डॉ. पीयूष गुप्ता ने बताया कि “हैपेटाइटिस की शुरुआती अवस्था में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, जिससे वायरस लिवर को चुपचाप नुकसान पहुंचाता रहता है। इसलिए समय पर जांच और इलाज बेहद जरूरी होता है। अगर समय रहते उपचार न मिले तो यह लिवर को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर सकता है, लेकिन उचित देखभाल से रोग की प्रगति को रोका जा सकता है, जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और जीवन प्रत्याशा भी बढ़ सकती है। इलाज से न केवल गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है, बल्कि वायरस को दूसरों में फैलने से भी रोका जा सकता है, जिससे मरीज लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।“


डॉ. पीयूष ने आगे बताया कि “हैपेटाइटिस से बचाव के लिए कुछ सरल लेकिन प्रभावी उपाय अपनाने बेहद जरूरी हैं। सबसे पहले, हैपेटाइटिस ए और बी के लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध हैं – जिन्हें लगवाना सबसे मजबूत रोकथाम उपाय है। इसके अलावा, यदि आपने कभी असुरक्षित यौन संबंध बनाए हैं, रक्त चढ़वाया है या सुई साझा की है, तो अपनी जोखिम की पहचान करें और जांच जरूर करवाएं। एक साधारण खून की जांच जैसे एलएफटी (LFT) और वायरल मार्कर से बी और सी प्रकार का पता लगाया जा सकता है। साफ पानी पीना और स्वच्छ भोजन करना भी जरूरी है – घर पर पानी छानकर पिएं या उबालें, खुले स्रोत से पानी न पिएं और यात्रा के दौरान अपना पानी साथ लेकर चलें। फल और सब्जियों को ठीक से धोकर खाएं और स्ट्रीट फूड या अधपका मांस-मछली खाने से बचें। नियमित रूप से हाथ धोने की आदत भी कई संक्रमणों से बचाव में सहायक है।“


हैपेटाइटिस से बचाव पूरी तरह संभव है, यदि हम जागरूक रहें। साफ पानी, स्वच्छता, सुरक्षित इंजेक्शन का प्रयोग और समय पर टीकाकरण इसके खिलाफ सुरक्षा की सबसे बड़ी ढाल हैं। लक्षणों के आने का इंतजार न करें – जांच कराएं, वैक्सीनेशन करवाएं और जानकारी रखें, क्योंकि एक स्वस्थ लिवर ही एक स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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