बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हरियाणा के 6 साल के बच्चे को दी नई जिंदगी, रेयर मिनिमल इन्वेसिव हार्ट प्रोसिजर को दिया अंजाम

बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हरियाणा के 6 साल के बच्चे को दी नई जिंदगी, रेयर मिनिमल इन्वेसिव हार्ट प्रोसिजर को दिया अंजाम

हिसार , 19 जुलाई  2025: मेडिकल की दुनिया में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 6 साल के बच्चे पर सफलतापूर्वक मिनिमल इन्वेसिव प्रोसिजर को अंजाम दिया है। हरियाणा के एक दूरदराज के गांव में जन्मे इस बच्चे को जन्म से ही दिल की एक दुर्लभ बीमारी थी। जन्म से ही उसका केवल एक हार्ट चैंबर फंक्शनल था। 1 प्रतिशत से भी कम बच्चे इस तरह की समस्या के साथ जन्म लेते हैं। सामान्य रूप से हृदय में चार चैंबर होते हैं, जो पूरे शरीर एवं फेफड़ों में शुद्ध एवं अशुद्ध रक्त के प्रवाह को मैनेज करते हैं।


अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में छह वर्षीय अयांश बहुत जल्दी थक जाता था। खून में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाने से उसके होंठ और अंगुलियों का रंग अक्सर नीला पड़ जाता था। ऐसा हार्ट का राइट साइड फंक्शनल नहीं होने के कारण था। दिल का यही हिस्सा फेफड़ों की ओर अशुद्ध रक्त की पंपिंग करता है। इस स्थिति को सिंगल वेंट्रिकल फिजियोलॉजी कहते हैं। इसमें शुद्ध एवं अशुद्ध रक्त शरीर में मिल जाता है, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।


बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एसोसिएट डायरेक्टर – पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, हार्ट एंड वस्कुलर इंस्टीट्यूट डॉ. गौरव गर्ग के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बच्चे पर एक दुर्लभ ट्रांसकैथेटर फॉन्टेन (Transcatheter Fontan) प्रोसिजर किया। यह अपनी तरह का पहला मिनिमल इन्वेसिव इंटरवेंशन है, जिसे ग्रोइन में एक छोटे से चीरे के माध्यम से किया जाता है। जटिल और ज्यादा खतरनाक ओपन-हार्ट सर्जरी के लिए बच्चे के सीने को खोलने के बजाय डॉक्टरों ने दिल तक पहुंचने के लिए कैथेटर एवं वायर का इस्तेमाल किया और अन्दर एक कवर्ड स्टेंट लगाया।


जन्म के समय से ही बच्चे का इलाज कर रहे डॉ. गर्ग ने कहा, ‘जिस समय अयांश हमारे पास आया  था, उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर खतरनाक स्तर तक कम था। छह महीने की उम्र में ही फर्स्ट स्टेज ट्रीटमेंट के रूप में उस पर ग्लेन प्रोसिजर किया जा चुका था। इस सर्जरी में शरीर के ऊपरी हिस्से में बहने वाले रक्त को काम नहीं कर रहे राइट हार्ट को बाइपास करते हुए फेफड़ों की ओर भेज दिया जाता है। इसके बाद फाइनल स्टेज सर्जरी होती है, जिसे फॉन्टेन कहा जाता है। इसके खतरे को देखते हुए कुछ साल इंतजार करना पड़ता है। पारंपरिक तौर पर इसमें हाई रिस्क ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है। इसमें खून बहने से लेकर इन्फेक्शन, दर्द और ज्यादा समय तक अस्पलाल में रहने जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। बच्चे की उम्र और खतरे को देखते हुए हमने ट्रांसकैथेटर फॉन्टेन का रास्ता अपनाया, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित और मिनिमल इन्वेसिव तरीका है।’


इस फैसले ने अयांश और उनके परिवार के लिए सबकुछ बदलकर रख दिया। सर्जरी के कुछ ही दिन बाद ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगा और शरीर का नीलापन कम होने लगा।


डॉ. गर्ग ने बताया, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के हार्ट डिफेक्ट का अक्सर पता नहीं लग पाता है। अयांश के मामले में सही समय पर जांच और उपचार ही काम आया। इस डिफेक्ट का असल कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययनों में इसे जेनेटिक फैक्टर से जुड़ा हुआ पाया गया है।’


वैश्विक स्तर पर हर 100 में 1 नवजात हार्ट डिफेक्ट्स से प्रभावित होता है। लेकिन अयांश जैसे कुछ मामले बहुत दुर्लभ होते हैं और इनका इलाज बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल की अत्याधुनिक, मिनिमल इन्वेसिव तकनीक ने भारत में पीडियाट्रिक कार्डियक केयर के मामले में उल्लेखनीय बदलाव किया है।


अयांश के मामले में अब जिंदगी ने नया मोड़ लिया है। अब वह दोबारा स्कूल जा सकता है, अपने दोस्तों व भाई-बहनों के साथ खेल सकता है और मजबूत दिल एवं बेहतर भविष्य के साथ हर वह काम कर सकता है, जो छह साल के अन्य बच्चे कर सकते हैं।

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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