फेफड़ों के ढहने की स्थिति को समय रहते पहचानना और इलाज जरूरी

फेफड़ों के ढहने की स्थिति को समय रहते पहचानना और इलाज जरूरी

मुरादाबाद: लंग कोलेप्स एक गंभीर और जानलेवा चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें फेफड़े आंशिक या पूरी तरह से सिकुड़ जाते हैं। यह तब होता है जब फेफड़े और छाती की दीवार के बीच हवा या तरल (जैसे पानी, मवाद या खून) भर जाता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और वे ठीक से काम नहीं कर पाते। समय पर इलाज होने पर यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

 

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के थोरेसिक सर्जरी एवं लंग ट्रांसप्लांट विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ. कामरान अली बताते हैं किलंग कोलेप्स होने के प्रमुख कारणों में 'न्यूमोथोरैक्स' शामिल है, जिसमें छाती में चोट लगने या पसली टूटने जैसी किसी वजह से हवा प्लूरल स्पेस (फेफड़े और छाती की दीवार के बीच की जगह) में चली जाती है। इसके अलावा, यदि उस जगह पर पानी (प्लूरल इफ्यूजन), मवाद (एम्पायमा) या खून (हीमथोरैक्स) जमा हो जाए तो भी फेफड़े दबकर काम करना बंद कर सकते हैं। इस स्थिति के लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द या भारीपन, खांसी, बेचैनी, भ्रम की स्थिति, सीने में सूजन और शरीर में ऑक्सीजन की कमी शामिल हो सकती है। ऐसे मामलों की पहचान के लिए डॉक्टर शारीरिक जांच के साथ एक्स-रे या सीटी स्कैन जैसी इमेजिंग तकनीकों का सहारा लेते हैं।

 

डॉ. कामरान ने आगे बताया किइलाज की प्रकृति इस पर निर्भर करती है कि स्थिति कितनी गंभीर है। हल्के मामलों में आराम और निगरानी से सुधार हो सकता है, जबकि गंभीर मामलों में छाती में ट्यूब डालना या सर्जरी आवश्यक हो सकती है। यदि सीने में ट्यूब डालने से राहत नहीं मिलती या लगातार हवा या तरल निकलता रहता है, तो सर्जरी की जाती है। कुछ मामलों में VATS बुलेक्टॉमी या ब्लेबेक्टॉमी सर्जरी से क्षतिग्रस्त वायु थैलियों को हटाया जाता है। वहीं, अगर फेफड़ों के आसपास मवाद जमा हो गया हो तो VATS डिकॉर्टिकेशन के जरिए मोटी परत और मवाद को साफ किया जाता है।

 

इलाज के बाद रोगी की निगरानी की जाती है और फेफड़ों को मजबूत करने के लिए श्वास अभ्यास कराए जाते हैं। हालांकि, किसी भी उपचार में संक्रमण, रक्तस्राव या फेफड़े के दोबारा ढहने जैसे जोखिम हो सकते हैं। मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे धूम्रपान से दूर रहें और छाती में किसी भी चोट से बचें ताकि इस स्थिति से बचाव हो सके। फेफड़ों की देखभाल और सजगता से इस गंभीर स्थिति से समय पर निपटा जा सकता है और जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है।

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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