कैल्शियम और विटामिन D की कमी बन रही है हड्डियों की सबसे बड़ी दुश्मन

कैल्शियम और विटामिन D की कमी बन रही है हड्डियों की सबसे बड़ी दुश्मन

मथुरा: जैसे-जैसे हम अपनी आज़ादी के 100 वर्षों की ओर बढ़ रहे हैंहमारे देशवासियों की औसत आयु लगातार बढ़ रही है — 47 वर्ष से अब लगभग 72 वर्ष तक। लगभग 80 वर्ष पहले हड्डियों के स्वास्थ्य पर इतना ध्यान देने की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि औसत आयु कम थी। लेकिन आजलंबी आयु के साथ नई स्वास्थ्य चुनौतियाँ सामने आई हैंजिनमें हड्डियों से जुड़ी समस्याएँ प्रमुख हैं। 


हमारा कंकाल (skeleton) हमारे शरीर को आकारसहारा और महत्वपूर्ण अंगों की सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए हमारी हड्डियों का स्वास्थ्य हमारे शरीर की बनावटखड़े होनेचलने और दैनिक गतिविधियों को पूरा करने की क्षमता को निर्धारित करता है। हड्डियों की संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी प्रोटीन संरचना की परतों से बनी होती हैजिसमें कैल्शियम भरा होता हैजो उसे मजबूती देता है। हड्डियाँ लगातार रीमॉडेलिंग की प्रक्रिया से गुजरती हैं — पुरानी और कमजोर कोशिकाओं को हटाकर नई परतें बनती रहती हैंजिससे हड्डियाँ मजबूत बनी रहती हैं। 


मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटलसाकेत के मैक्स इंस्टिट्यूट ऑफ मस्कुलोस्केलेटल साइंसेज एंड ऑर्थोपेडिक्स विभाग के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ. सुनील कटोच ने बताया कि हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त प्रोटीन और कैल्शियम की आवश्यकता होती हैजो आंतों के माध्यम से अवशोषित होते हैं। जहाँ प्रोटीन सीधा अवशोषित हो जाता हैवहीं कैल्शियम को अवशोषित होने के लिए विटामिन की जरूरत होती है। आज की लाइफस्टाइल में लोग अधिकतर समय घर के अंदर बिताते हैंजिससे सूर्य के प्रकाश के अभाव में हमारी त्वचा में विटामिन का निर्माण कम हो जाता है। भारतीय त्वचा में मौजूद मेलानिन भी विटामिन बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। विटामिन की कमी से शरीर में दर्दथकानचिड़चिड़ापनडिप्रेशन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसे आसानी से पूरक (supplement) के रूप में लिया जा सकता हैलेकिन फैटी फिशचीज़मशरूम और अंडे की जर्दी इसके प्राकृतिक स्रोत हैं।“ 


एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 1200 mg कैल्शियम की आवश्यकता होती हैजबकि खिलाड़ियों को लगभग 1800 mg और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 2000 mg से अधिक की आवश्यकता होती है। विटामिन की कमी होने पर कैल्शियम पर्याप्त रूप से अवशोषित नहीं हो पाताऔर शरीर हड्डियों से कैल्शियम खींचकर अपनी जरूरतें पूरी करता है। यह कैल्शियम हृदय की धड़कनसांस लेने और पाचन तंत्र की गतिविधियों के लिए 24 घंटे आवश्यक रहता है। 


डॉ. सुनील ने आगे बताया कि  “हड्डियों से कैल्शियम की यह लगातार कमी उनकी घनत्व (density) को घटाती हैजिससे हड्डियाँ पहले मुलायम (Osteomalacia) और बाद में नाज़ुक (Osteoporosis) हो जाती हैं। यदि किशोरावस्था में ही विटामिन की कमी शुरू हो जाएतो उम्र के बढ़ने पर हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं। विशेषकर महिलाओं के लिए हड्डियों का अधिकतम द्रव्यमान (bone mass peak) 36 वर्ष की आयु तक बन जाना चाहिएअन्यथा आगे चलकर प्री-मैच्योर ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। प्राइमरी ऑस्टियोपोरोसिस के रूप में इडियोपैथिक जुवेनाइल ऑस्टियोपोरोसिसपोस्ट मेनोपौसल ऑस्टियोपोरोसिस और सेनाइल ऑस्टियोपोरोसिस देखी जाती हैं। इसके अलावा डायबिटीजहाइपोथायरॉइडिज्मधूम्रपानशराबकुछ दवाओं के दुष्प्रभावरूमेटॉयड आर्थराइटिससिकल सेल डिजीजकैल्शियम अवशोषण की गड़बड़ीआंतों के रोगकिडनी की बीमारियाँकैंसरया न्यूरोलॉजिकल विकार भी सेकेंडरी कारणों में गिने जाते हैं।“ 


ऑस्टियोपोरोसिस एक “साइलेंट डिजीज” है जो अक्सर दर्द भरे सूक्ष्म फ्रैक्चरमसूड़ों के सिकुड़नेपकड़ की कमजोरीनाखूनों की नाजुकताऊँचाई में कमीझुकी हुई पीठया पीठ व गर्दन के दर्द के रूप में सामने आती है। इसकी पहचान के लिए Bone Mineral Density (BMD) टेस्टएक्स-रे और संबंधित जांचें की जाती हैं। 


उपचार में सबसे पहले विटामिन और कैल्शियम की कमी को दूर किया जाता है। साथ हीकोलेजन टाइप और II, करक्यूमिनरोज़ हिप एक्सट्रैक्ट जैसे सप्लीमेंट्स का उपयोग किया जा सकता है। 75 वर्ष की आयु के बाद ज़रूरत पड़ने पर विशेष दवाइयाँ जैसे एंटी-रेसॉर्प्टिव या एनाबॉलिक इंजेक्शन दिए जा सकते हैंलेकिन सावधानीपूर्वक। 


महीने तक विटामिन की लोडिंग डोज़ के बाद एंटी-ग्रेविटी और आइसोमेट्रिक एक्सरसाइज़ शुरू करनी चाहिएजिससे हड्डियों की मजबूती और घनत्व बढ़ता है। यदि रीढ़कलाई या कूल्हे पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होतो इलाज व्यक्ति-विशिष्ट होना चाहिए। 


प्राकृतिक रूप से कैल्शियम प्राप्त करने के लिए दूधअंडेतिलमखानामछली का तेल और सूर्य की रोशनी में प्रतिदिन 15–20 मिनट रहना बहुत लाभकारी है। साथ हीशरीर के प्रति किलो वजन पर 0.8 से ग्राम प्रोटीन और पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए। हर साल हड्डियों से जुड़ी जांचें करवाकर और जीवनशैली में संतुलन रखकर हम जीवनभर स्वस्थ हड्डियों का आनंद ले सकते हैं।

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

Post a Comment

Previous Post Next Post