सेंटर फॉर साइट ने बढ़ते डायबिटिक आई डिज़ीज़ को लेकर चेताया, समय पर स्क्रीनिंग की दी सलाह

सेंटर फॉर साइट ने बढ़ते डायबिटिक आई डिज़ीज़ को लेकर चेताया, समय पर स्क्रीनिंग की दी सलाह

नई दिल्ली : भारत में तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज़ के मामलों को देखते हुए सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स ने डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए रेगुलर आई चेकअप करवाने के महत्व पर जोर दिया है, ताकि समय रहते दृष्टि संबंधी जटिलताओं से बचा जा सके। इस वर्ष की थीम “डायबिटीज एंड वेल बीइं” के अनुरूप, इस अग्रणी निजी आईकेयर चेन ने कहा कि डायबिटीज़ मैनेजमेंट केवल ब्लड शुगर को नियंत्रित करने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि समग्र स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता, विशेषकर दृष्टि की सुरक्षा पर भी ध्यान देना आवश्यक है। 


डायबिटीज़ केवल एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर नहीं है, बल्कि यह एक आजीवन स्थिति है जो शरीर के कई अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचा सकती है, जिनमें आँखें प्रमुख हैं। समय के साथ बढ़ा हुआ ब्लड शुगर स्तर रेटिना (आँख के पिछले हिस्से की प्रकाश-संवेदनशील परत) की सूक्ष्म ब्लड वेसल्स को क्षति पहुँचा सकता है, जिससे डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक स्थिति उत्पन्न होती है, जो एडल्ट्स में ब्लाइंडनेस के प्रमुख कारणों में से एक है। चूंकि यह रोग अक्सर बिना किसी प्रारंभिक लक्षण के विकसित होता है, इसलिए रेगुलर आई चेकअप अत्यंत आवश्यक है।  


सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. महिपाल सिंह सचदेव ने कहा, “डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में कम उम्र में मोतियाबिंद (Cataract) और ग्लूकोमा (Glaucoma) जैसी बीमारियों का खतरा अधिक होता है। बार-बार दृष्टि धुंधली होना, पढ़ने में कठिनाई, या विजन में उतार-चढ़ाव जैसे लक्षण डायबिटीज़ के शुरुआती प्रभाव हो सकते हैं, जिनके लिए समय पर जांच आवश्यक है। यदि दृष्टि धुंधली या अस्थिर हो, दृष्टि क्षेत्र में काले धब्बे या खाली स्थान दिखें, रंगों में फर्क करना मुश्किल हो या अचानक एक या दोनों आँखों की दृष्टि चली जाए, तो तत्काल विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। एक साधारण और बिना दर्द वाली आँखों की जांच से शुरुआती अवस्था में समस्या का पता लगाकर दृष्टि हानि को रोका जा सकता है।”


रोकथाम के उपायों पर जोर देते हुए डॉ. सचदेव ने कहा कि “ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना अत्यंत जरूरी है। नियमित एक्सरसाइज, फलों और सब्ज़ियों से भरपूर संतुलित आहार, धूम्रपान से परहेज़ और स्वस्थ बॉडी वेट बनाए रखना, आँखों की सेहत और समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। उन्होंने यह भी सलाह दी कि भले ही कोई लक्षण न हों, फिर भी साल में कम से कम एक बार डायलेटेड रेटिनल एग्ज़ामिनेशन सहित संपूर्ण आँखों की जांच करवानी चाहिए, ताकि शुरुआती परिवर्तन समय रहते पहचाने और इलाज किए जा सकें।”


उपचार में प्रगति पर बात करते हुए डॉ. महिपाल ने कहा, “आज की आधुनिक नेत्र चिकित्सा में डायबिटिक आई डिज़ीज़ के इलाज के कई प्रभावी विकल्प उपलब्ध हैं। लेज़र फोटोकोएगुलेशन से लीकिंग ब्लड वेसल्स को सील किया जा सकता है, एंटी-VEGF ड्रग्स की इंट्राविट्रियल इंजेक्शन रेटिना की सूजन और रक्तस्राव को कम करते हैं, और विट्रेक्टॉमी सर्जरी के माध्यम से आँख से खून या स्कार टिश्यू हटाकर एडवांस्ड मामलों में दृष्टि को बहाल किया जा सकता है। यदि समय रहते निदान और उपचार किया जाए, तो दृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनी रह सकती है।”  


डायबिटीज़ का बेहतर प्रबंधन केवल ग्लूकोज मीटर पर दिखने वाली संख्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मनिर्भरता, दैनिक जीवन का आनंद लेने और गरिमा बनाए रखने की क्षमता को भी सुरक्षित रखता है। आँखों का स्वास्थ्य, संपूर्ण कल्याण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


जागरूकता, नियमित नेत्र परीक्षण और स्वस्थ जीवनशैली, डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए दृष्टि सुरक्षा के तीन प्रमुख स्तंभ हैं। समय पर हस्तक्षेप और सही चिकित्सा मार्गदर्शन से व्यक्ति न केवल अपनी दृष्टि को सुरक्षित रख सकता है, बल्कि जीवन का आनंद भी भरपूर ले सकता है — यही इस वर्ष का संदेश है: “डायबिटीज एंड वेल बीइंग”

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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