नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरो एंड स्पाइन विभाग के निदेशक, डॉक्टर सतनाम सिंह छाबड़ा ने बताया कि, "रीढ़ की हड्डी और पीठ दर्द का सीधा संबंध है. ऑफिस में गलत तरीके से बैठने से, एक ही पोस्चर में लगातार काम करने से और गर्दन को कई घंटों तक एक ही अवस्था में रखने से व्यक्ति की रीढ़ गंभीर रूप से प्रभावित होती है जिससे पीठ में दर्द शुरू हो जाता है. इसके अलावा ज्यादा देर ड्राइव करने से भी रीढ़ प्रभावित होती है, जिससे पीठ में दर्द और अकड़न जैसी समस्याएं होती हैं. ये दर्द पीठ के किसी भी हिस्से में हो सकता है. कुछ ऐसे संकेत हैं जो गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं, जिसके लिए व्यक्ति को तुरंत न्यूरोसर्जन से संपर्क करना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति उम्र के अनुसार (20 वर्ष से कम या 50 वर्ष से अधिक आयु) पीठ के दर्द का अनुभव करता है, आराम के साथ दर्द कम नहीं होता है, बिना कारण वजन कम हो रहा हो और आंत की समस्या हो तो उसे तत्काल परीक्षण की आवश्यकता है.
डॉक्टर सतनाम सिंह छाबड़ा ने आगे बताया कि, " रीढ़ को प्रभावित होने से रोकना चाहते हैं तो एक मुद्रा में बहुत देर तक खड़े या बैठे न रहें. प्रेस करने, बर्तन धोने व खाना बनाने आदि जैसे कामों के लिए पीठ और गर्दन झुकानी पड़ती है इसलिए अपने शरीर के पॉस्चर पर ध्यान दें.
आज कल स्लिप्ड डिस्क की शिकायत भी आम हो गई है. यदि कमर की डिस्क बाहर निकल आए तो पैरों में कमजोरी हो सकती है या दर्द भी हो सकता है. कई बार बाहर निकली डिस्क इतना दबाव डाल सकती है कि पेशाब में भी रुकावट आती है. हालांकि, यदि इस प्रकार का दर्द पहली बार है तो 10% लोगों में यह केवल आराम करने से ही ठीक हो जाता है और 10% लोगों को सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है.
इसके इलाज के लिए स्पाइनल इंडोस्कोपी जैसी सर्जरी संभव हो गई है, जिसके परिणाम बेहतर होते हैं" एक सक्रिय जीवनशैली के साथ संतुलित आहार और बैठने, चलने और झुकने के दौरान सतकर्ता से रीढ़ की हड्डी संबंधी इन समस्याओं में से अधिकांश को रोका जा सकता है. सबसे पहले दर्द के कारण को पहचानना जरूरी है, जिसके लिए जांच कराना आवश्यक होता है. मामूली दर्द मरहम लगाने और आराम करने से ठीक हो जाता है.