दिल की बीमारी होने पर हमारा शरीर देता है ये 7 संकेत

दिल की बीमारी होने पर हमारा शरीर देता है ये 7 संकेत

Heart Disease 7 Important Signs:यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा में कार्डियक साइंसेज के एचओडी एंड सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर पंकज रंजन ने दिल से जुड़ी बीमारियों, इसके लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉक्टर रंजन ने बताया कि भारत समेत पूरी दुनिया में दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले काफी ज्यादा बढ़ रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर पांच में से एक पुरुष और 8 में से एक महिला दिल की बीमारियों के कारण मौत की चपेट में आ रहे हैं। इस तरह के मामलों में ये बढ़ोतरी धमनियों में फैटी चीजें जमा हो जाने के कारण हो रही हैं क्योंकि इसकी वजह से दिल की ब्लड सप्लाई बाधित हो जाती है। धूम्रपान, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी दिक्कतें दिल की सेहत को और ज्यादा खराब करती हैं।
 

कुछ वक्त पहले तक हार्ट की बीमारी उम्रदराज लोगों में ज्यादा देखी जाती थी लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है जो काफी चिंताजनक है। जो युवा 20, 30 या 40 की उम्र में हैं वो भी हार्ट डिजीज की चपेट में आ रहे हैं। मॉडर्न लाइफ में जिस तरह का तनाव है उसके कारण यंग आबादी के हार्ट भी कमजोर हो रहे हैं। इसके अलावा जेनेटिक कारण और फैमिली हिस्ट्री भी हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर माने जाते हैं। युवाओं में हार्ट डिजीज के ज्यादातर केस अधिक तनाव, काम से ज्यादा घंटे, नींद के पैटर्न में असामान्यता, स्मोकिंग और खराब जीवनशैली के कारण सामने आ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर दिन दिल की बीमारियों के कारण करीब 9000 मौतें होती हैं यानी हर 10 सेकंड में एक जिंदगी जा रही है हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें से 900 मौतें ऐसे लोगों की होती हैं जिनकी उम्र 40 साल से कम है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है देश के लोगों को हार्ट डिजीज के खतरों के बारे में बताया जाए, नहीं तो ये मृत्युदर का सबसे बड़ा कारण बन जाएगा।

भारत में प्रति वर्ष 2 लाख से ज्यादा ओपन हार्ट सर्जरी की जाती हैं, और हर साल इनमें 25 फीसदी का इजाफा हो रहा है, लेकिन ये भी नाकाफी साबित हो रही हैं। हार्ट अटैक से बचाव दरअसल लोगों को एजुकेट करके, इसके लक्षणों के बारे में अलर्ट करके ही किया जा सकता है। 

हार्ट डिजीज के लक्षण:
कोरोनरी हार्ट डिजीज के लक्षण अलग-अलग होते हैं सीने में दर्द इसका एक आम कारण है। हार्ट डिजीज में हल्की बेचैनी से लेकर गंभीर दर्द, अपच या तेज दर्द, भारीपन या जकड़न जैसी परेशानियां हो सकती हैं। दर्द आमतौर पर चेस्ट के बीच में होता है और बाहों, गर्दन, जबड़े या पेट तक फैल सकता है। इसके साथ ही धड़कनें तेज होना और असामान्य सांस फूलना भी इसके लक्षण हो सकते हैं।

बीमारी का कैसे पता चलता है:
हार्ट डिजीज का पता लगाने के लिए फुल मेडिकल जांच और फैमिली हिस्ट्री देखी जाती है, जीवनशैली का मूल्यांकन किया जाता है और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। बीमारी की पुष्टि करने के लिए ईसीजी, एक्स-रे, ट्रेडमिल टेस्ट (टीएमटी), कार्डियोवैस्कुलर कार्टोग्राफी, सीटी एंजियोग्राफी और इनवेसिव कोरोनरी एंजियोग्राफी कराई जाती है।

क्या है समाधान:
कोरोनरी हार्ट डिजीज को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके, दवाओं और नॉन-इनवेसिव इलाज के जरिए इसे मैनेज किया जाता है। गंभीर मामलों में इनवेसिव और सर्जिकल प्रकियाओं की जरूरत पड़ सकती है। संतुलित आहार लेकर, रेगुलर एक्सरसाइज करके, धूम्रपान से परहेज और ब्लड कोलेस्ट्रॉल और शुगर लेवल को कंट्रोल करके क्रोनिक हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डिमेंशिया से बचाव किया जाता है।

इलाज के विकल्प:
कोरोनरी हार्ट डिजीज के लिए कई तरह की दवाओं को इस्तेमाल किया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को टारगेट करती हैं। इन दवाओं के साथ-साथ साइड इफेक्ट की वजह से समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। मेडिकल साइंस में हो रही तरक्की से अब कम आघात पहुंचाने वाले सर्जिकल मेथड्स उपलब्ध हैं जैसे कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी), वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव डायरेक्ट कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग (MIDCAB), वीएटीएस के साथ थोरेसिक सर्जरी, ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) के जरिए हार्ट और लंग फेल्योर को मैनेज किया जाता है।

हार्ट फेल की स्थिति को मैनेज करने के लिए कार्डियक रिसिंक्रोनाइजेशन थेरेपी (सीआरटी) का इस्तेमाल किया जाता है इस प्रक्रिया में एक ऐसी डिवाइस लगाई जाती है जो हार्ट की रिदम को कॉर्डिनेट करती है, उसकी दक्षता बढ़ाती है, और लक्षणों को कम करती है। हार्ट फेल के मरीजों को एक बेहतर लाइफ देने के लिए सीआरटी प्रक्रिया की जाती है।

बेहतर केयर और डायग्नोज के जरिए हार्ट फेल की स्थिति को मैनेज किया जा सकता है ऐसे आदतों को छोड़ने की जरूरत है जिनसे मोटापा बढ़ता हो, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का रिस्क रहता हो एक अच्छी और स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाने से हार्ट फेल से बचाव किया जा सकता है और हार्ट फंक्शनिंग को सुधारा जा सकता है। 

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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