ग्रेटर नोएडा: भारत में दिल की बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, हर चार में से एक मौत दिल की बीमारी की वजह से हो रही है। प्रोसेस्ड और फास्ट फूड का ज्यादा इस्तेमाल और कम शारीरिक गतिविधि की वजह से मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं, जो दिल की बीमारी के मुख्य कारण हैं। पहले के भारतीय भोजन, जिसमें दालें, साबुत अनाज और हल्दी जैसे सेहतमंद मसाले होते हैं जो दिल के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं । लेकिन अब तला-भुना और ज्यादा मीठा खाने की बढ़ती आदतों ने दिल की सेहत पर बुरा असर डालना शुरू कर दिया है।
डॉ. पंकज रंजन, हेड ऑफ डिपार्टमेंट और सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी, यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा ने कहा, "दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए सही और संतुलित डाइट लेना बहुत जरूरी है। ओलिव आयल और एवोकाडो जैसे अच्छे फैट दिल के लिए फायदेमंद होते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। साथ ही, साबुत अनाज और दालें खाने से कोलेस्ट्रॉल लेवल सही रहता है, जिससे दिल को मजबूती मिलती है।"
सैल्मन मछली जो ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है,, दिल की सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि यह सूजन को कम करती है। साथ ही, नमक का सेवन कम करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, जो दिल की बीमारी से बचाव में मदद करता है। प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा फैट, चीनी और नमक से भरे हुए खाने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है। रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का ज्यादा सेवन भी दिल की सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।
मेडिटेरेनियन डाइट, जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और ओलिव आयल जैसे स्वस्थ फैट होते हैं, दिल के लिए सबसे फायदेमंद मानी जाती है। रिसर्च से पता चला है कि यह डाइट दिल की बीमारी के खतरे को कम करती है और कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखती है, जिससे दिल बेहतर काम करता है।
हालांकि, हर व्यक्ति की शारीरिक ज़रूरतें और स्वास्थ्य अलग-अलग होते हैं, इसलिए डाइट भी व्यक्ति विशेष के हिसाब से होनी चाहिए। डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लेकर एक व्यक्तिगत आहार योजना बनाना दिल की सेहत के लिए सबसे सही कदम होता है।
सही खाना खाने के साथ-साथ रोजाना एक्सरसाइज करना और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव जैसे नमक कम करना, तला-भुना खाने से बचना और ज्यादा पानी पीना दिल की बीमारियों से बचने में मदद करता है। इससे न केवल दिल की सेहत सुधरती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ती है, जिससे लंबे समय तक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जिया जा सकता है।