34 वर्षीय महिला में छुपा ट्यूमर, पैंक्रियाटाइटिस की वजह बनी, हाई-रिस्क सर्जरी से सफल इलाज

34 वर्षीय महिला में छुपा ट्यूमर, पैंक्रियाटाइटिस की वजह बनी, हाई-रिस्क सर्जरी से सफल इलाज

नोएडा। यथार्थ हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के डॉक्टरों ने एक 34 वर्षीय महिला की जान बचाने में बड़ी सफलता पाई, जिसे बेहद खतरनाक पैंक्रियाटाइटिस की शिकायत थी। जांच में पता चला कि इसके पीछे एक बहुत ही दुर्लभ कारण था प्राइमरी हाइपरपैराथायरॉयडिज्म, जो एक पैराथायरॉइड एडीनोमा नामक ट्यूमर की वजह से हुआ था। 



मरीज को शुरुआत में तेज पेट दर्द और पैंक्रियाटाइटिस के लक्षणों के साथ भर्ती किया गया था। सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट और प्रमुख डॉ. परवीन मेंदीरत्ता और उनकी टीम ने जब गहराई से जांच की, तो शरीर में कैल्शियम का स्तर बहुत अधिक पाया गया। यह हाइपरकैल्सीमिया नाम की स्थिति थी, जो पैंक्रियाटाइटिस के बहुत कम मामलों (1 प्रतिशत से भी कम) में पाई जाती है। एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की मदद से असली कारण सामने आया — दाहिने तरफ पैराथायरॉइड में एक बेनाइन ट्यूमर। यह ट्यूमर शरीर में कैल्शियम का संतुलन बिगाड़ देता है, जिससे हड्डियों, किडनी, मसल्स और आंतरिक अंगों पर असर होता है। 



मरीज की हालत और भी गंभीर इसलिए थी क्योंकि उसका दिल भी कमजोर था। टेस्ट में दिल की कार्यक्षमता (इजेक्शन फ्रैक्शन) सिर्फ 25 प्रतिशत पाई गई, जो सामान्य से काफी कम है। यह स्थिति ऑपरेशन को बहुत जोखिम भरा बना रही थी। इसके बावजूद, डॉक्टरों की टीम ने सावधानी के साथ सर्जरी का फैसला लिया। एनेस्थीसिया विभाग ने पूरे ऑपरेशन के दौरान मरीज की स्थिति को बारीकी से संभाला। 



सर्जरी के दौरान निकाले गए ट्यूमर की तुरंत जांच की गई, जिससे यह पुष्टि हुई कि यह पैराथायरॉइड टिशू ही था। साथ ही, बायोकैमिस्ट्री विभाग ने हार्मोन स्तर की निगरानी की और पाया कि ट्यूमर निकालने के सिर्फ 20 मिनट के अंदर मरीज का पैराथॉर्मोन लेवल 1233 से गिरकर 140 हो गया। इससे सर्जरी की सफलता तुरंत प्रमाणित हो गई। 



डॉ. परवीन मेंदीरत्ता ने बताया, “यह केस टीमवर्क और तेज़ क्लिनिकल निर्णय का बेहतरीन उदाहरण था। हाइपरकैल्सीमिया की वजह से पैंक्रियाटाइटिस बहुत असामान्य होती है और अक्सर ध्यान नहीं जाता, लेकिन समय पर पहचान होने से हमें इलाज का सही मौका मिला। मरीज की दिल की खराब स्थिति के बावजूद हम सुरक्षित ऑपरेशन कर पाए, क्योंकि सभी विभागों ने मिलकर काम किया। यह मल्टीडिसिप्लिनरी मेडिसिन की ताकत को दर्शाता है।” 



मरीज की हालत अब स्थिर है और सिर्फ 5 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। छुट्टी के समय दिल की कार्यक्षमता बढ़कर 45 प्रतिशत हो चुकी थी। 



यह केस दिखाता है कि पैराथायरॉइड ट्यूमर और पैंक्रियाटाइटिस के बीच दुर्लभ संबंध को समझना कितना ज़रूरी है। साथ ही, यह समय पर डायग्नोसिस, सटीक सर्जरी और टीम वर्क के ज़रिए जीवन बचाने की अहमियत को भी सामने लाता है, चाहे केस कितना भी कठिन क्यों न हो।

P.K. SHARMA

Blogging in difference subjects since 2012 and related many media companies, having experiences in this field about 12 years.

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